विश्व कप 2015 मे साउथ अफ्रीका और न्यूजीलैंड के बीच पहला सेमीफाइनल खेला गया दोनों में से किसी भी टीम ने इससे पहले फाइनल में जगह नहीं बनाई थी। इसलिए लिए यह दोनों टीमों के लिए अहम मुकाबला था। डकवर्थ लुईस मेथड के कारण यह मैच 43-43 ओवर का किया गया था। साउथ अफ्रीका इस मैच में काफी अच्छी स्थिति में थी, लेकिन न्यूजीलैंड के ग्रांट इलियट ने उस दिन ऐतिहासिक पारी खेलकर अपनी टीम न्यूजीलैंड को पहली बार फाइनल में पहुंचा दिया था।
ऐसा रहा था मैच
मैच शुरू होने से पहले अधिकतर क्रिकेट प्रेमी साउथ अफ्रीका की जीत का कयास लगा रहे थे लेकिन उस दिन भी भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया और एक बार फिर से उन्हें ‘चोकर‘ कहा गया। मैच में न्यूजीलैंड को 43 ओवरों में 298 रनों का पीछा करना था, हालांकि साउथ अफ्रीका ने कुल 283 रन ही बनाए थे। लेकिन डकवर्थ लुईस समीकरण के कारण कीवियों को 298 का लक्ष्य दिया गया। कीवी टीम के पहले चार विकेट केवल 149 पर गिर चुके थे और मार्टिन गप्टिल, ब्रैंडन मैकुलम, केन विलियमसन और रॉस टेलर जैसे धाकड़ बल्लेबाज पवैलियन लौट चुके थे।
इसके बाद क्रीज पर आए बल्लेबाज ग्रांट इलियट ने उस दिन जो पारी खेली उसे क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। उनके साथ क्रीज पर मौजूद थे कोरे एंडरसन। इलियट ने एंडरसन के साथ मिलकर 103 रन की पार्टनरशिप की, इलियटन ने 73 गेंदों में 84 रनों की पारी खेली इसमें 7 चैके और 3 छक्के शामिल थे। उन्होंने डेल स्टेन की गेंद पर छक्का जड़कर एक गेंद शेष रहते हुए अपनी टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाकर फाइनल में पहुंचा दिया। सातवीं बार सेमीफाइनल खेल रही न्यूजीलैंड की टीम पहली बार फाइनल में पहुंची थी।
अफ्रीकी मूल के हैं इलियट
सबसे दिलचस्प बात यह है कि जिस देश की टीम के छक्के छुड़ाकर उन्होंने न्यूजीलैंड को फाइनल में पहुंचाया था, एलियट उसी देश के मूल निवासी हैं। जी हां, उनका जन्म जोहानसबर्ग में 21 मार्च 1979 में हुआ था। साल 2001 में वो न्यूजीलैंड चले गए थे और साल 2008 में इस खिलाड़ी ने टेस्ट और वनडे में डेब्यू किया था। साल 2018 में उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। लेकिन किसे पता था कि दक्षिण अफ्रीका में पैदा होने वाला ये खिलाड़ी एक दिन उसी देश की टीम को अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी से विश्व कप से बाहर कर देगा। भले ही इलियट ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बड़े रिकॉर्ड नहीं बनाए हों, लेकिन उनकी 84 रन की पारी को भुला पाना नामुमकिन है, इस पारी की बदौलत उन्होंने अपना नाम क्रिकेट और विश्व कप के इतिहास में हमेशा के लिए लिख दिया था।