क्रिकेट का इतिहास काफी पुराना है, समय के साथ-साथ क्रिकेट के प्रारूपों में भी लगातार बदलाव होता रहा है। टेस्ट क्रिकेट शुरू होने के लगभग सौ सालों बाद क्रिकेट में एक बड़ा बदलाव आया, जब साल 1971 में एकदिवसीय मैच खेले जाने लगे। इससे पहले केवल टेस्ट मैच खेले जाते थे, वनडे मैचों के साथ ही क्रिकेट की लोकप्रियता में भी इजाफा हुआ। क्योंकि लंबे चलने वाले टेस्ट मैचों के बजाय सिर्फ एक दिन में खत्म वाले मैचों में दर्शकों को अधिक इंतजार नहीं करना पड़ता था और देखने में भी काफी मजा आता था।
1971 में एकदिवसीय मैच शुरू होने के साथ ही अब तक इस प्रारूप में कई नए रिकार्ड बने और टूटे और आगे भी बनते रहेंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि इन पचास वर्षों के वनडे इतिहास के पांच सबसे महान बल्लेबाज यदि चुनें जाएं तो वो कौनसे होंगे। वैसे तो सभी के लिए ये अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन हमने हर दशक के लिए एक-एक बल्लेबाज को चुना है, आइए जानते हैं कौनसे हैं 70 के दशक से अब तक के पांच सबसे महान बल्लेबाज-
सर विवियन रिचर्ड्स(1970-1980)
70 के दशक की बात कि जाए तो ऑस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल ने इस दशक में सबसे अधिक रन बनाए थे। लेकिन यदि औसत और स्ट्राइक रेट की बात की जाए तो इसमें वेस्ट इंडीज के सर विव रिचर्ड्स उस दशक में सबसे आगे रहे। ग्रेग चैपल ने जहां 22 मैचों में 54.05 की औसत एवं 74.05 की स्ट्राइक रेट से 919 रन बनाए थे, वहीं विव रिचर्ड्स ने 19 मैचों में 73.58 की औसत एवं 87.08 की स्ट्राइक रेट से 883 रन बनाए थे, जिसमें तीन शतक शामिल थे, और इनमें से सबसे महत्वपूर्ण शतक 1979 विश्व कप फाइनल में बनाया था, जब उन्होंने फाइनल मैच में 138 रनों की पारी खेली थी, इस पारी में 11 चैके और तीन छक्के शामिल थे।
रिचर्ड्स एक विस्फोटक बल्लेबाज थे और वनडे क्रिकेट की लोकप्रियता में उनका बड़ा योगदान माना जाता है।
डेसमंड हेन्स (1980-1990)
हालांकि इस दौर में भी सर रिचर्ड्स का जादू कायम था। वहीं वेस्ट इंडीज के एक और बल्लेबाज डेसमंड हेन्स उनसे केवल एक ही मामले में आगे रहे और वो था सबसे ज्यादा रन। सर रिचर्ड्स ने जहां 156 मैचों में 91 की स्ट्राइक रेट से 5559 रन बनाए थे, वहीं डेसमंड हेन्स ने 159 मैचों में 43.12 की औसत से 5892 रन बनाए थे, उनका स्ट्राइक रेट 63.89 था जो कि सर रिचर्ड्स की तुलना में बेहद कम था। लेकिन डेसमंड हेन्स ने इस दौर में सलामी बल्लेबाज के तौर पर 15 शतक जड़े जो कि उस दौर में सलामी बल्लेबाज के लिहाज से एक महत्वपूर्ण संख्या थी। उन्होंने वनडे खेलने वाली लगभग सभी टीमों के खिलाफ बेहतरीन पारियां खेली। हेन्स ने ऑस्ट्रेलिया (1984) के खिलाफ चार मैचों में तीन शतक बनाए और न्यूजीलैंड (1985) के खिलाफ तीन मैचों में दो शतक बनाए। उनकी कमाल की निरंतरता की वजह से हमने उन्हें 80 के दशक का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज माना।
सचिन तेंदुलकर (1990-200)
इस दौर में हमने क्रिकेट के उस बल्लेबाज को देखा, जिसे आज क्रिकेट का पर्यायवाची कहा जाता है। यह युग था सचिन तेंदुलकर का, हालांकि इस दौर में ब्रायन लारा, सनथ जयसूर्या जैसे महान बल्लेबाजों को भी दर्शकों ने देखा, लेकिन जो धूम 90 के दशक में सचिन तेंदुलकर की रही वो किसी और की नहीं थी। इस दशक में सचिन ने 228 मैचों में 43.07 की औसत और 86.81 की स्ट्राइक रेट से 8571 रन बनाए थे, इसी में शामिल थे 24 शतक, इन आंकड़ों ने उन्हें महान बल्लेबाजों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। हालांकि वनडे में उनका पहला शतक दशक शुरू होने के चार साल बाद यानि 1994 में आया, लेकिन उसके बाद सचिन ने अपने बल्ले से दुनिया को हिला कर रख दिया। सचिन के लिए साल 1998 सबसे बेहतरीन साबित हुआ, इस साल उन्होंने वनडे मैचों में 1894 रन बनाए, जिसमें 9 शतक शामिल थे, वनडे मैचों में सचिन द्वारा बनाए गए एक साल में इतने रन आज भी एक रिकाॅर्ड है और 22 सालों में भी इसे कोई नहीं तोड़ पाया। इसलिए सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है।
रिकी पोंटिंग (2000-2010)
90 का दशक सचिन के नाम रहा तो ये दशक था, महान ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी रिकी पोंटिंग का लेकिन सचिन की लोकप्रियता में इस दशक में कोई कमी नहीं थी, इस दशक में पोंटिंग ने 239 मैचों में 44.18 की औसत एवं 84.44 की स्ट्राइक रेट से 9103 रन बनाए जिसमें 23 शतक भी शामिल थे। इस दशक में हम सचिन और पोंटिंग के बीच तुलना नहीं कर सकते, 2003 विश्व कप में सचिन ने 673 रन बनाकर एक विश्व कप में सबसे अधिक रन बनाने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया था, अभी तक उनका रिकाॅर्ड कोई नहीं तोड़ पाया है। वहीं पोंटिंग ने उसी विश्व कप फाइनल में शतकीय पारी खेलकर ऑस्ट्रेलिया को विश्व चैंपियन बनाया था। इस दशक में पोंटिंग ने बल्लेबाजी में तो कीर्तिमान स्थापित किए ही साथ ही कप्तान के तौर पर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को 2003 और 2007 का विश्व चैंपियन भी बनाया।
विराट कोहली (2010-2020)
अगर इस दशक में से किसी को सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज का खिताब देना हो तो इसमें अधिकांश लोगों को कोई परेशानी नहीं होगी। दशक शुरूआत से अबतक विराट कोहली ने 227 मैचों में 60.79 की औसत एवं 94.11 की स्ट्राइक रेट से 11125 रन बनाए, जिसमें 42 शतक भी शामिल हैं। विराट कोहली ने इनमें से अधिकांश रन लक्ष्य का पीछा करते हुए बनाए हैं, इसलिए उन्हें चेज़ मास्टर भी कहा जाता है इसके अलावा उन्हें "रन मशीन" भी नाम दिया गया है। 2012 के एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ कोहली ने चेज़ करते हुए 183 रनों की धमाकेदार पारी खेली थी, इसी टूर्नामेंट में कोहली ने श्रीलंका के खिलाफ एक मैच में लक्ष्य का पीछा करते हुए 86 गेंदो में 133 रन की पारी खेली थी, इसी मैच में उन्होंने याॅर्कर किंग कहे जाने वाले मलिंगा की गेंदबाजी पर भी खूब रन बटोरे थे। इसके अलावा 2013 में एक मैच में चेज़ करते हुए ही 52 गेंदो में शतक बनाया जो कि एक भारतीय खिलाड़ी द्वारा बनाया गया सबसे तेज वनडे शतक है। उनकी निरंतरता आज भी कायम है और वे उसी गति से रन बना रहे हैं, इसी कारण उन्हें सचिन तेंदुलकर का उत्तराधिकारी भी कहा जाता है।