इंडियन टी20 लीग का 14वां सीजन शुरू होने में कुछ ही देन शेष हैं। क्रिकेट जगत की सबसे बड़ी घरेलू लीग के 13 सीजन सफलतापूर्वक आयोजित किए जा चुके हैं। 14वां सीजन इसके अंतिम सीजन से केवल 6 महीने के अंतराल के बाद आयोजित किया जा रहा है क्योंकि कोरोना महामारी के चलते 13वां सीजन देरी से और भारत के बाहर आयोजित किया गया था। 14वें सीजन को लेकर भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने इसके नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। आइए जानते हैं कि इस बार किन नियमों में बदलाव हुआ है –
नियम '90 मिनट'–
यह नियम समय बचाने के लिए लाया गया है। इंडियन टी20 लीग में अब हर टीम को 90 मिनट के अंदर पारी के 20 ओवर खत्म करने ही होंगे। इससे पहले 90वें मिनट में बीसवां ओवर शुरू होने का नियम था लेकिन अब पूरे ओवर 90 मिनट तक खत्म हो जाने का नियम बनाया गया है। इंडियन टी20 लीग में कम से कम 14.11 ओवर रेट प्राप्त करना जरूरी है। बिना किसी बाधा के होने वाले मैचों के लिए यह ओवर रेट निर्धारित की गई है। इसका मतलब यह हुआ कि पारी में 20 ओवर 90 मिनट में खत्म हो जाने चाहिए। इसमें 85 मिनट खेलने का समय और 5 मिनट टाइम आउट के लिए रखे गए हैं।
रूकावट पर अतिरिक्त समय-
जब देरी या रुकावट के कारण मैच में निर्धारित समय में 20 ओवर न हो पाएं तो ऐसे में हर ओवर के लिए 4.15 मिनट अतिरिक्त हो सकते हैं।
सॉफ्ट सिग्नल-
भारत और इंग्लैंड के बीच हुए मुकाबले में सॉफ्ट सिग्नल काफी विवादों में रहा। कप्तान विराट कोहली ने भी इस नियम पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद इस बार इंडियन टी20 लीग में सॉफ्ट सिग्नल आउट नियम को हटा दिया गया है। नये नियम के हिसाब से मैदान पर मौजूद अंपायर के सॉफ्ट सिग्नल का असर तीसरे अंपायर के फैसले पर नहीं पड़ेगा। अंपायरों को फैसला लेने के लिए तीसरे अंपायर की मदद की जरूरत होती है लेकिन इससे पहले मैदान पर मौजूद दोनों अंपायरों को परामर्श करना चाहिए। इसके बाद फैसला पूरी तरह तीसरे अंपायर के पास होगा। वह तय करेगा कि बल्लेबाज आउट हुआ है या नहीं। यानी फील्ड अंपायर के एक बार थर्ड अंपायर को रेफर करने के बाद सॉफ्ट सिग्नल का महत्व खत्म हो जाएगा।
शॉर्ट रन पर थर्ड अंपायर लेगा फैसला-
फील्ड अंपायर द्वारा शॉर्ट रन नियम में भी बदलाव किया गया है। इसकी जिम्मेदारी भी थर्ड अंपायर को दी गई है। थर्ड अंपायर अब मैदान पर मौजूद अंपायर के शॉर्ट रन कॉल के फैसले में तब्दीली भी कर सकता है। पिछले इंडियन टी20 लीग सीजन में पंजाब और दिल्ली के बीच हुए मैच में इस मामले को लेकर काफी विवाद हुआ था। उसके बाद ही यह फैसला लिया गया है।
चौथे अंपायर को चेतावनी देने का अधिकार-
टाइमिंग के मामले में भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने चौथे अंपायर को अतिरिक्त शक्ति दी है। यह चौथे अंपायर की जिम्मेदारी होगी कि अगर बल्लेबाजी वाली टीम जानबूझकर वक्त बर्बाद करे तो वह उन्हें चेतावनी दे। चौथे अंपायर को यह अधिकार दिया गया है कि अगर बल्लेबाजी टीम की वजह से गेंदबाजी करने वाली टीम निर्धारित समय में 20 ओवर ने फेंक पाए तो बल्लेबाजी करने वाली टीम के समय में कटौती की जाए। चौथे अंपायर की जिम्मेदारी होगी कि बल्लेबाजी करने वाली टीम का कप्तान और टीम मैनेजर, दोनों को इन चेतावनियों के बारे में पता हो।