इंडियन टी20 लीग विश्व की सबसे बड़ी घरेलू क्रिकेट लीग है। यह लीग ऐसा मंच हैं जिसने कई प्रतिभाओं को निखारा। भारत में करोड़ों युवा क्रिकेट के दिवाने हैं। हर लोकल खिलाड़ी टीम इंडिया में जगह बनाने का सपना देखता है। लेकिन कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच यह काम मुश्किल है। लेकिन इंडियन टी20 लीग ऐसा मंच है जिसने कई लोकल खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा बिखेरने का मौका दिया। इस लीग में अच्छे प्रदर्शन के दम पर कुछ खिलाड़ियों ने भारतीय राष्ट्रीय में भी जगह बनाई है। जसप्रीत बुमराह और हार्दिक पांड्या उन खिलाड़ियों में ही शामिल है।
इंडियन टी20 लीग ने कई खिलाड़ियों के सपने पूरे करने में मदद की और इस मंच की मदद से वे नाम और शोहरत हासिल कर पाए। इस आर्टिकल में हम उन खिलाड़ियों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने अपने जीवन में कड़े संघर्षों के बाद अपनी प्रतिभा के दम पर इंडियन टी20 लीग में स्थान पाया और सफलता को छुआ।
मोहम्मद सिराज-
इस वर्ष की शुरूआत में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत का लक्ष्य ऑस्ट्रेलिया को उसी की सरजमीं पर मात देना था। वहीं टीम इंडिया में एक खिलाड़ी ऐसा भी जिसका ध्यान टीम इंडिया की जर्सी पर था। ये खिलाड़ी हैं मोहम्मद सिराज, मोहम्मद सिराज को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर चोटिल तेज गेंदबाजों के स्थान पर मौका दिया गया और सिराज ने इस मौके को पूरी तरह भुनाया। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीत में इस खिलाड़ी का बड़ा योगदान रहा। सिराज ने इंडियन टी20 लीग में प्रदर्शन के दम पर टीम इंडिया में जगह बनाई।
लेकिन सिराज की सफलता की कहानी भी संघर्षों भरी है, उनके पिता एक ऑटो ड्राइवर थे। ऐसे में उन्हें शुरूआत में क्रिकेट कोचिंग की सुविधाएं नहीं मिली थी। वे 2015 तक टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलते रहे और अपने गेंदबाजी को स्वयं निखारते रहे। उनका चयन रणजी के लिए हुआ तो उन्होंने अपनी प्रतिभा का जलवा बिखेरते हुए 9 मैचों में 41 विकेट झटके। इसके बाद भारतीय गेंदबाजी कोच भरत अरूण ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें कोचिंग दी। इसके बाद उनका चयन 2017 में इंडियन टी20 लीग में हुआ जहां हैदराबाद ने उन्हें 2.6 करोड़ में अपनी टीम में शामिल किया और इसके बाद सिराज को कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा।
लेकिन ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान जब सिराज ऑस्ट्रेलिया में थे तब उनके पिता का देहांत हो गया। इस मुश्किल घड़ी में भी वे भारत नहीं लौटे क्योंकि उन्हें राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व करना था और उन्होंने वहां कमाल का प्रदर्शन भी किया। सिराज आज कई युवाओं के रोल मॉडल भी बन चुके हैं।
हार्दिक पांड्या-क्रुणाल पांड्या
हार्दिक पांड्या और क्रुणाल पांड्या आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। दोनों भाई इंडियन टी20 लीग में मुंबई की ओर से खेलते हैं। उनका जन्म वडोदरा के अच्छे परिवार में हुआ था। लेकिन उनके पिता का बिजनेस ठप हो जाने की वजह से उन्हें बुरे दिन भी देखने पड़े। लेकिन पांड्या बंधुओ का क्रिकेट से बहुत लगाव था। वे लोकल टूर्नामेंटों में खेला करते थे उससे उन्हें जितनी भी रकम मिलती उससे वे अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करते थे। एक इंटरव्यू के दौरान हार्दिक पांड्या ने कहा था कि वे कभी-कभी केवल नूडल्स खाकर काम चलाते थे।
दोनों भाईयों ने अपनी घरेलू टीम बडौदा का भी प्रतिनिधित्व किया। उस समय पांड्या बंधुओं के पास केवल एक ही बैट हुआ करता था। सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में उन्होंने सराहनीय प्रदर्शन किया जिसके बदले दोनों को 30-30 हजार रूपये मिले। इसके बाद हार्दिक पांड्या का चयन इंडियन टी20 लीग में मुंबई टीम के लिए हुआ। बस यहीं से उनकी जिंदगी बदल गई, वहीं 2016 में क्रुणाल पांड्या को भी मुंबई टीम ने चुना। दोनों भाईयों ने इंडियन टी20 लीग में किए गए अपने प्रदर्शन की बदौलत टीम इंडिया में भी अपनी जगह बनाई।
चेतन सकारिया
इंडियन टी20 लीग के 14वें सीजन में राजस्थान की ओर से खेलने वाले तेज गेंदबाज चेतन सकारिया ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा जब उन्होंने पंजाब के खिलाफ हुए राजस्थान के पहले मैच में 7.75 की इकॉनमी से रन दिए और 3 विकेट भी झटक लिए। यह उनका इंडियन टी20 लीग में डेब्यू मैच में पहला मैच भी था। इस मैच में सभी गेंदबाजों की जमकर धुनाई हुई थी लेकिन सकारिया ने अपने प्रदर्शन से सबका ध्यान खींचा। इसके बाद भी लीग स्थगित होने तक उनका अच्छा प्रदर्शन जारी था।
लेकिन रातों-रात सुर्खियां बटोरने वाले इस क्रिकेटर का जीवन काफी कठिनाईयों में बीता। गुजरात के एक छोटे गांव से आने वाले सकारिया के पिता एक टेम्पो ड्राइवर थे। ऐसे में उनका बचपन काफी गरीबी में बीता। सकारिया को अपने मामा की ओर से सपोर्ट मिला और वे सौराष्ट्र की ओर से डेब्यू कर पाए। उनकी प्रतिभा को देखते हुए एम आर एफ पेस फाउंडेशन की ओर से उन्हें स्कॉलरशिप भी मिली। शुरूआत में उनकी हालत इतनी खराब थी कि उनके पास जूते तक नहीं थे, उस वक्त सकारिया के साथी शैल्डन जैक्सन ने उन्हें जूतों की जोड़ी दी, जिसके बाद सकारिया ने उन्हें ही नेट्स में आउट कर दिया था। वे इंडियन टी20 लीग में मुंबई और बैंगलोर की ओर से नेट बॉलर की भूमिका में थे। 2021 में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में गजब का प्रदर्शन किया। जिसके बाद राजस्थान ने उन्हें 1.2 करोड़ में अपनी टीम में शामिल किया। सैयद मुश्ताक अली टूर्नामेंट के दौरान उन्हें एक बड़ा झटका लगा जब टूर्नामेंट के दौरान उनके बड़े भाई ने आत्महत्या कर ली, लेकिन घरवालों ने इसकी जानकारी सकारिया को नहीं दी ताकि वे खेल पर अपना ध्यान लगा सके। इसके बाद इंडियन टी20 लीग में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और सुर्खियां बटोरी। इंडियन टी20 लीग से मिले पैसों से वो अपने पिता का ईलाज करवा रहे थे लेकिन उनके पिता भी हाल ही में इस दुनिया को अलविदा कह गए।
आशा करते हैं कि वे अपनी प्रतिभा के दम पर सफलता की बुलंदियों को छुएंगे। उनकी संघर्षपूर्ण कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।
टी नटराजन
टी नटराजन को वर्तमान में यॉर्कर स्पेशिलिस्ट माना जाता है। उन्होंने 2020 में इंडियन टी20 लीग से काफी नाम कमाया। लेकिन उन्होंने इसके लिए काफी संघर्ष किया और उनका जीवन बहुत आसान नहीं था। वे तमिलनाडु के बहुत छोटे से गांव से आते हैं। वे अपने पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं, उनके माता-पिता गांव में ही एक छोटी दुकान चलाते थे। वहीं नटराजन ने भी अपने परिवार को पालने के लिए बचपन में छोटे-मोटे काम किए। आश्चर्य की बात यह है कि वे गांव में टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलते थे और 20 साल की आयु तक उन्होंने कभी क्रिकेट का मैदान नहीं देखा था। लेकिन उनकी गेंदबाजी को देखते हुए उनके गांव में रहने वाले ए. जयप्रकाश ने उन्हें पेशेवर क्रिकेट खेलने की सलाह दी। इसलिए उन्होंने पहली बार चेन्नई जाकर 2010-2011 में टीएनसीए लीग में क्रिकेट खेला। फिर साल 2012-13 में नटराजन ने लोकप्रिय क्लब जोली रोवर्स के लिए क्रिकेट खेला।
इसके बाद उन्होंने रणजी टीम में भी जगह बनाई लेकिन संदिग्ध एक्शन की वजह से उन्हें बैन कर दिया गया। उन्होंने अपने एक्शन पर जमकर मेहनत की और वापसी की। इसके बाद उन्होंने तमिलनाडु प्रीमियर लीग में लाजवाब प्रदर्शन किया। उनके इस प्रदर्शन की बदौलत 2017 में पंजाब ने उन्हें 3 करोड़ में अपनी टीम में शामिल किया। लेकिन इस सीजन उन्हें कम ही मौके मिले और जितने मिले उनमें वे उनका लाभ नहीं उठा पाए। उसके बाद वे हैदराबाद टीम से जुड़े और दो सीजन उन्हें बैंच पर बैठना पड़ा लेकिन 2020 में यूएई में हुए इंडियन टी20 लीग उन्हें टीम में स्थान दिया गया और उन्होंने अपने प्रदर्शन से धूम मचा दी। इसके बाद उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए भी चुना गया।
रिंकू सिंह
रिंकू सिंह इंडियन टी20 लीग की कोलकाता टीम में एक जाना-पहचाना चेहरा है। लेकिन रिंकू का सफर आसान नहीं रहा और जीवन में काफी संघर्ष देखने के बाद वे क्रिकेट जगत में अपनी पहचान बना पाए। रिंकू 1997 में यूपी अलीगढ़ में जन्में उनके पिता जी एक एलपीजी कंपनी में सिलेंडर वितरण का काम करते थे तो वहीं भाई एक ऑटो ड्राइवर थे। रिंकू ने भी बचपन में छोटी-मोटी नौकरी की ताकी 8 सदस्यों वाले परिवार का पेट भर सके। लेकिन रिंकू को क्रिकेट जगत में नाम कमाना था। रिंकू ने लिस्ट-ए क्रिकेट में 2014 में विदर्भ के खिलाफ डेब्यू किया था। यहां अच्छे प्रदर्शन के बाद उन्हें राज्य से रणजी खेलने का मौका मिला और उन्होंने रणजी में जबरदस्त प्रदर्शन किया। उनके प्रदर्शन को देखते हुए 2017 में उन्हें पंजाब ने 10 लाख में अपनी टीम में शामिल किया। उन्हें इस सीजन में खेलने का मौका नहीं मिला। अगले साल 2018 में कोलकाता ने रिंकू को 80 लाख रूपये में अपनी टीम में शामिल किया और यहीं से रिंकू की जिंदगी बदल गई। हालांकि वे अभी भी वैसी प्रतिष्ठा हासिल नहीं कर पाए हैं लेकिन उनका जीवन युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।