टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया दौरे के साथ लंबे समय बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी करने जा रही है। 27 नवंबर से शुरू हो रही भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज का दोनों देशों के क्रिकेट प्रशंसक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इस सीरीज में दोनों देशों के बीच तीन टी-20, तीन वनडे और चार टेस्ट मैच खेले जाएंगे।
दोनों ही देशों के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है, प्रशंसकों को आशा है कि इस बार भी इस सीरीज में उन्हें काफी रोमांचक मुकाबले देखने को मिलेंगे। दोनों ही टीमों के पास जबरदस्त बल्लेबाज तो हैं ही साथ ही दोनों टीमों में शानदार गेंदबाज भी शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय तेज गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलिया की तेज पिचों पर अपना जलवा बिखेरा है।
पिछली बार 2018-19 में जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था तो जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और इशांत शर्मा की तेज गेंदबाजी तिकड़ी ने 21.6 की औसत से 48 विकेट लिए थे और आठ में से सात बार ऑस्ट्रेलिया को ऑल आउट किया था।
2018 कैलेंडर ईयर में इन तीनों गेंदबाजों ने मिलकर कुल 136 विकेट चटकाए और इसी के साथ इन तीनों ने वेस्टइंडीज के माइकल होल्डिंग, मैल्कम मार्शल और जोएल गार्नर (1984 में 130 विकेट) के रिकॉर्ड को तोड़ा। इनके 136 विकेटों में 45 विकेट सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में खेले गए शुरुआती तीन टेस्ट मैचों में आए थे।
इसमें कोई दो राय वाली बात नहीं कि भारत के पास एक मजबूत तेज गेंदबाजी आक्रमण है लेकिन टीम इंडिया के पास बाएं हाथ के तेज गेंदबाज की कमी है। यह कमी टीम इंडिया को कहीं न कहीं इस दौरे पर भारी पड़ सकती है। क्योंकि कंगारू टीम में स्टीव स्मिथ, डेविड वार्नर की वापसी हुई है और मार्नस लाबुशैन इस समय बेहतरीन फॉर्म में हैं। ऐसे में दाएं हाथ के गेंदबाजों के साथ-साथ बाएं हाथ के गेंदबाज की भी जरूरत होगी।
टीम इंडिया के बाएं हाथ के पूर्व तेज गेंदबाज इरफान पठान ने कहा है कि, "जब तेज गेंदबाजी की बात आती है तो इसमें कोई शक नहीं है कि दोनों टीमें बराबर हैं, भारत के पास भी विश्व स्तरीय तेज गेंदबाजी आक्रमण है। लेकिन मुझे लगता है कि ऑस्ट्रेलिया थोड़ी सी आगे है क्योंकि वह घर में खेल रही है और मिशेल स्टार्क के रूप में उनके पास बाएं हाथ का तेज गेंदबाज है। बाएं हाथ का गेंदबाज विविधता प्रदान करता है, साथ ही दाएं हाथ के बल्लेबाज को एक्रॉस एंगल से गेंद डालता है। मुझे हालांकि लगता है कि यह बहुत थोड़ा सा फायदा है, लेकिन फायदा तो निश्चित तौर पर है।"
आंकड़ों की बात की जाए तो दोनों टीमों के गेंदबाजों ने अच्छा काम किया है-
एक जनवरी 2018 से, ईशांत ने 18 टेस्ट मैचों में 71 विकेट लिए हैं। मोहम्मद शमी ने 22 टेस्ट मैचों में 85 विकेट लिए हैं। जसप्रीत बुमराह ने 14 टेस्ट मैचों में 68 विकेट लिए हैं।
वहीं ऑस्ट्रेलिया के लिए जोश हेजलवुड ने 16 मैचों में 59 विकेट, पैट कमिंस ने 21 मैचों में 107 विकेट, स्टार्क ने 18 टेस्ट मैचों में 77 विकेट चटकाए हैं।
भारत के खिलाफ खेली गई पिछली सीरीज स्टार्क के लिए अच्छी नहीं रही थी। वे चार टेस्ट मैचों में केवल 13 विकेट हासिल कर पाए थे लेकिन इस सीरीज के बाद उन्होंने आठ टेस्ट मैचों में 45 विकेट झटके और इनमें से सात टेस्ट उन्होंने आस्ट्रेलिया में ही खेले थे।