HomeHockeyटोक्यो ओलपिंक-2020: 41 साल बाद भारतीय हॉकी टीम ने रचा इतिहास

टोक्यो ओलपिंक-2020: 41 साल बाद भारतीय हॉकी टीम ने रचा इतिहास

भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक-2020 में 41 साल बाद ओलंपिक खेलों में पदक जीतकर इतिहास रच दिया। 5 अगस्त को खेले गए इस मुकाबले में भारतीय टीम ने जर्मनी को मात देकर कांस्य पदक अपने नाम किया। हालांकि भारतीय टीम गोल्ड और सिल्वर मेडल तो अपने नाम नहीं कर पाई। लेकिन 41 वर्ष बाद भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में कोई पदक अपने नाम किया है। 

मैच के आखिरी कुछ सैकंड में जर्मनी को मिले पेनल्टी कॉर्नर को जैसे ही भारतीय गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने रोका, भारतीय खिलाड़ियों के साथ ही टेलीविजन पर इस ऐतिहासिक मुकाबले को देख रहे करोड़ों भारतीयों का सर गर्व से ऊँचा हो गया। आखिरकार 41 वर्षों का सूखा खत्म हुआ और वर्ष 1980 के बाद भारतीय हॉकी ने 5 अगस्त 2021 को ओलंपिक खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीता।

आइए जानते हैं भारत और जर्मनी के बीच खेले गए इस रोमांचक मैच की पूरी कहानी-

भारतीय टीम 1980 मॉस्को ओलिंपिक में अपना आखिरी पदक जीती थी। उससे पहले भारतीय हॉकी टीम का विश्व हॉकी पर दबदबा था। क्योंकि उससे पहले हॉकी में भारत ने ओलंपिक में 7 गोल्ड जीते थे और 1980 में आठवां गोल्ड जीता। उसके बाद 41 साल बाद ओलिंपिक में भारतीय हॉकी टीम आज पदक जीती है। मॉस्को से टोक्यो तक के सफर में बीजिंग ओलिंपिक 2008 के लिए क्वॉलिफाइ नहीं कर पाने और हर ओलंपिक से कई बार खाली हाथ लौटने की कई मायूसियां भी शामिल हैं।

जर्मनी के खिलाफ मुकाबले में आठ बार की ओलिंपिक चैंपियन और दुनिया की तीसरे नंबर की भारतीय हॉकी टीम एक समय 1-3 से पिछड़ रही थी लेकिन दबाव से उबरकर आठ मिनट में चार गोल दागकर टीम ने रोमांचक जीत दर्ज करते हुए एक बार फिर पदक जीता। दुनिया की चौथे नंबर की टीम जर्मनी की ओर से तिमूर ओरूज (दूसरे मिनट), निकलास वेलेन (24वें मिनट), बेनेडिक्ट फुर्क (25वें मिनट) और लुकास विंडफेडर (48वें मिनट) ने गोल दागे। मध्यांतर तक दोनों टीमें 3-3 से बराबर थी।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे ग्रुप मैच में 1-7 की करारी हार के बावजूद भारतीय टीम अपने बाकी चारों ग्रुप मैच जीतकर दूसरे स्थान पर रही। टीम को सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन बेल्जियम को शुरुआती तीन क्वार्टर में कड़ी चुनौती देने के बावजदू 2-5 से हार झेलनी पड़ी। भारत के लिए मुकाबले की शुरुआत अच्छी नहीं रही।

भारतीय डिफेंडर्स ने कई गलतियां की लेकिन फॉरवर्ड लाइन और गोलकीपर पीआर श्रीजेश इसकी भरपाई करने में सफल रहे। जर्मनी ने बेहद तेज शुरुआत की लेकिन बाकी मुकाबले में इस दमखम को बनाए रखने में विफल रही। जर्मनी ने पहले क्वार्टर में दबदबा बनाया तो भारतीय टीम बाकी तीन क्वॉर्टर में हावी रही।

पहले क्वार्टर में रहा जर्मनी का पलड़ा भारी-

जर्मनी ने शुरुआत से ही अटैकिंग खेल खेला और भारतीय डिफेंडर्स को दबाव में डाला। टीम को इसका फायदा भी मिला जब दूसरे ही मिनट में भारतीय गोलमुख के सामने गफलत का फायदा उठाकर तिमूर ओरूज ने गेंद को गोलकीपर पीआर श्रीजेश के पैरों के नीचे से गोल दागा। लेकिन भारत ने भी तेजी दिखाते हुए पलटवार किया। टीम को पांचवें मिनट में मैच का पहला पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन ड्रैग फ्लिकर रूपिंदर के शॉट में दम नहीं था। उधर जर्मनी ने लगातार अटैक जारी रखे।

पहले क्वार्टर में जर्मनी की टीम भारत पर हावी रही। श्रीजेश ने हालांकि शानदार प्रदर्शन करते हुए जर्मनी को बढ़त दोगुनी करने से रोका और उसके दो हमलों को पूरी तरह नाकाम कर दिया। जर्मनी को अंतिम मिनट में लगातार चार पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन अमित रोहिदास ने विरोधी टीम को सफलता हासिल नहीं करने दी। दूसरे क्वार्टर में भारत की शुरुआत अच्छी रही।

दूसरे क्वार्टर ने भारतीयों ने दिखाया दम-

सिमरनजीत ने दूसरे ही मिनट में नीलकांता शर्मा से डी में मिले लंबे पास पर रिवर्स शॉट से जर्मनी के गोलकीपर एलेक्जेंडर स्टेडलर को छकाकर गोल दागा और इसी के साथ भारत ने 1-1 से बराबरी की। इसके बाद भारत ने भी लगातार अटैक किया लेकिन जर्मनी के डिफेंडर्स को भेदने में नाकाम रहे।

भारतीय डिफेंडर्स ने इसके बाद गलतियां की जिसका फायदा उठाकर जर्मनी ने दो मिनट में दो गोल दागकर 3-1 की बढ़त बना ली। पहले तो नीलकांता ने यान क्रिस्टोफर रूर के पास को वेलेन को आसानी से पास लेने दिया जिन्होंने श्रीजेश को छकाकर गोल दागा इसके बाद दायें छोर से जर्मनी के प्रयास पर भारतीय डिफेंडर्स ने फिर चूक की और बेनेडिक्ट फुर्क ने गोल दाग दिया। भारतीय टीम ने 1-3 से पिछड़ने के बाद पलटवार किया और तीन मिनट में दो गोल दागकर बराबरी हासिल कर ली।

टीम को 27वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला। ड्रैगफ्लिकर हरमनप्रीत के प्रयास को गोलकीपर ने रोका लेकिन रिबाउंड पर हार्दिक ने गेंद को गोल में पहुंचा दिया। भारत को एक मिनट बाद एक और पेनल्टी कॉर्नर मिला और इस बार हरमनप्रीत ने अपनी दमदार ड्रैगफ्लिक से गेंद को गोल में पहुंचाकर भारत को बराबरी दिला दी। 

तीसरे क्वॉर्टर में भारतीय टीम पूरी तरह हावी रही

पहले ही मिनट में जर्मनी के डिफेंडर ने गोल के सामने मनदीप सिंह को गिराया जिससे भारत को पेनल्टी स्ट्रोक मिला। रूपिंदर ने स्टेंडलर के दायीं ओर से गेंद को गोल में डालकर भारत को पहली बार मैच में आगे कर दिया। टोक्यो ओलंपिक में रूपिंदर का यह चौथा गोल था।

भारत ने इसके बाद दायीं छोर से एक ओर मूव बनाया और इस बार डी के अंदर गुरजंत के पास पर सिमरनजीत ने गेंद को गोल में डालकर भारत को 5-3 से आगे कर दिया। भारत को इसके बाद लगातार तीन और जर्मनी को भी लगातार तीन पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन दोनों ही टीमें गोल करने में नाकाम रही।

चौथे क्वार्टर में जर्मनी ने फिर दागा गोल

चौथे क्वॉर्टर के तीसरे मिनट में जर्मनी को एक और पेनल्टी कॉर्नर मिला और इस बार लुकास विंडफेडर ने श्रीजेश के पैरों के बीच से गेंद को गोल में डालकर स्कोर 4-5 कर दिया। भारत को 51वें मिनट में गोल करने का स्वर्णिम मौका मिला। लंबे पास पर गेंद कब्जे में लेने के बाद मनदीप इसे डी में ले गए।

मनदीप को सिर्फ गोलकीपर स्टेडलर को छकाना था लेकिन वह विफल रहे। श्रीजेश ने इसके बाद जर्मनी के एक और पेनल्टी कॉर्नर को नाकाम किया। जर्मनी की टीम बराबरी की तलाश में अंतिम पांच मिनट में बिना गोलकीपर के खेली। टीम को 58वें और 60वें मिनट में पनेल्टी कॉर्नर मिले लेकिन भारतीय डिफेंडर्स ने इन हमलों को विफल करके तमाम हिंदुस्तान को 41 साल बाद फिर से गौरवान्वित कर दिया और भारत को 41 वर्ष बाद ओलंपिक हॉकी में पदक मिला।

इस जीत के बाद भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने कहा-

"हमने बहुत मेहनत की थी, पिछले 15 महीने हमारे लिए बहुत मुश्किल भरे थे। हम इस पदक को भारत में लोगों की जाने बचाने वाले डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों को समर्पित करना चाहते हैं।"

ashishsaini
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